किताब

किताब

जिन्दगी एक किताब है जो रोज पढ़ी जाती है ।
जिन्दगी की कहानी एक रोज लिखी जाती है ।।
हम लाख छुपाना चाहें कुछ राज दुनिया से ।
किस्से कहानियों के रूप में उभर कर सामने आ जाती है ।।
हर खुशी और हर गम इस किताब में लिखा जाता है ।
इस किताब का हर पन्ना जिन्दगी के रंगों से रंगा जाता है ।।
वो मुहब्बत की रुसवाईयां दिल की तन्हाइयां ।
आंखों ही आंखों में इक दूजे को प्यार की बधाईयां ।।
जिन्दगी के हर अहसास को बड़ी खामोशी से लिखा जाता है ।।
जो पढ़ लेता है ज़िन्दगी को मुकम्मल हो जाता है ।
जिन्दगी की किताब का हर पन्ना खास हो जाता है ।।।
मैंने देखा उस तड़पती मां को जो औलाद के लिए रो रही थी ।
जवानी में क़दम रखने से पहले ही गहरी नींद में सो रही थी ।।
मैंने देखा जमाने का गुस्सा जो मुझसे कुछ कह रहा था ।
किताबों की शक्ल बनाकर जैसे मुझको  चिढ़ा रहा था ।‌
आज कोरोना काल में पढ़ने वाले बच्चों की मजबूरी ।
बन्द स्कूलों का फीस का बिल  रह रहकर मुझको चिढ़ा रहा था ।।
किताबों की दुनिया का कीड़ा ही बनकर रह गया मैं ।
बात बात में जिन्दगी की एक नई कहानी बना रहा था ।।
बच्चे किताबों की जगह मोबाइल में मसगूल होने लगे ।
आनलाइन क्लास के चैप्टर कुछ थोड़े लम्बे होने लगे ।‌।
मैं जिन्दगी के सपनो की एक नई कहानी बना रहा था ।
किताबों में पिरोंकर कविता के नये रुप सज़ा रहा था ।।
जय हिन्द जय भारत वंदेमातरम
चन्द्र शेखर शर्मा मार्कण्डेय
जनपद अमरोहा उत्तर प्रदेश

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