सब पा लिया

सब पा लिया

तेरा प्यार पा के हमने
सब कुछ पा लिया है। 
तेरे दर पर आके हमने
सिर को झुका लिया है।। 
तेरा प्यार पा के हमने
सब कुछ पा लिया है।। 

आवागमन की गलियाँ 
न हत बुला रही थी..२। 
जीवन मरण का झूला
हमको झूला रही थी। 
अज्ञानता की निंद्रा
हमको सुला रही थी। 
नजरे नरम हुई है
तेरा आसरा लिया जो।। 
तेरा प्यार पा के हमने
सब कुछ पा लिया है..।। 

तेरे प्यार वाले बादल
जिस दिनसे घिर गये है.. २। 
दूरगुण के निसंक के पर्वत
उस दिन से गिर गये हैं। 
रहमत हुई है जो तेरी
मेरे दिन ही फिर गये है। 
तेरी रोशनी ने गुरुवर
रास्ता दिखा दिया है।। 
तेरा प्यार पा के हमने
सब कुछ पा लिया है..।। 

संजय का ये गीत
गुरुप्रभु को हैं समर्पित..२। 
अपनी कृपा हे गुरुवर
मुझ पर बनाये रखना। 
अपने चरणो में मुझको
थोड़ी सी जगह दे देना। 
अज्ञानी हूँ मैं गुरुवर
मुझे ज्ञान आप देना।। 
तेरा प्यार पा के हमने
सब कुछ पा लिया है..।। 

संजय जैन
मुंबई 
जय जिनेन्द्र

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