माँ तुम्हारा ही सहारा हो गया है । फासला फिर से दुबारा हो गया है

ग़ज़ल
माँ  तुम्हारा  ही  सहारा हो गया है ।
फासला फिर से दुबारा हो गया है ।

आदमी से आदमी है दूर फिर से,
हर तरफ़ ऐसा नज़ारा हो गया है ।

बंद सारे  फिर मकां होने लगे अब,
खौफ़ में सबका गुज़ारा हो गया है।

टूटकर ये चूर  दुनिया  हो गई अब,
आदमी से सुख किनारा हो गया है ।

टिमटिमाते  लग  रहे हैं चाँद तारें,
मौत का लगता इशारा हो गया है ।

आस के  बुझने  लगे  हैं दीप सारे,
राह  रौशन क्यों अँधेरा  हो गया है ।

अब दिया बारो उजाला नेह का माँ
आसरा  केवल तुम्हारा हो गया है ।

प्रमिला श्री'तिवारी'

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