माँ तुम्हारा ही सहारा हो गया है ।
फासला फिर से दुबारा हो गया है ।
आदमी से आदमी है दूर फिर से,
हर तरफ़ ऐसा नज़ारा हो गया है ।
बंद सारे फिर मकां होने लगे अब,
खौफ़ में सबका गुज़ारा हो गया है।
टूटकर ये चूर दुनिया हो गई अब,
आदमी से सुख किनारा हो गया है ।
टिमटिमाते लग रहे हैं चाँद तारें,
मौत का लगता इशारा हो गया है ।
आस के बुझने लगे हैं दीप सारे,
राह रौशन क्यों अँधेरा हो गया है ।
अब दिया बारो उजाला नेह का माँ
आसरा केवल तुम्हारा हो गया है ।
प्रमिला श्री'तिवारी'
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