नारी पर मुझको गर्व है
नारी शक्ति का पर्व है
नर नारी का अंश है
नारी से नर का वंश है
नारी से ही खुशियाली है
नारी से ही विध्वंस है
नारी से नर की काया है
नारी से नर की माया है
नारी ही नर की छाया है
नारी ने ही नर उपजाया है
नारी है जग की वसुन्धरा
नारी में जगत समाया है
नारी बिन नर अधूरा है
नारी जुड़ जाये तो पूरा है
नारी शक्ति, नारी भक्ति
नारी जीवन का सार
नारी बिन नर का जीना
हो जाता है दुश्वार
नारी बिन नर कुछ कर ना सका
देवता युद्ध भी हार गए
असुरों ने मारा देवों को
तो माँ दुर्गा के द्वार गए
नौ रूपों में नारी ने
दुष्टौं का संहार किया
देवों की शक्ति बनकर के
सब जीवों का उद्धार किया
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कविता