दुविधा जहर मिटाना होगा

दुविधा जहर मिटाना होगा                   

राहत लिये ढूँढ़ते कुछ पल,प्रेम भाव नजराना होगा ।
बेशक कसक बहुत सीने में,दुविधा जहर मिटाना होगा ।।
तज कर सारे बैर द्वेष नर,सोच तरीका बानाना होगा ।
जीवन-दर्शन सम उपवन कर,पुष्प  राग अपनाना होगा ।।
आशाओं की खुली नाव में ,बैठ किनारा पाना होगा ।
बेशक कसक बहुत सीने में ,दुविधा जहर मिटाना होगा ।।
दर्पण सच का करें सामना,झूठ सदा विसराना होगा ।
तालों से हर ताल मिलेगी ,मीत नयन ठहराना होगा ।।
झीलों में जल रंग इत्र हों,मोहक दृश्य सजाना होगा ।
बेशक कसक बहुत सीने में ,दुविधा जहर मिटाना होगा ।।
अभिनय है जीवन सतरंगी ,नाटक के हिस्से हम संगी ।
रिश्ते नाते भवन सलौने,कर्मों के सब फल वहुरंगी ।।
चलकर गिरना राह सम्भलना,खुद परिवर्तन लाना होगा ।
बेशक कसक बहुत सीने में, दुविधा जहर मिटाना होगा ।।
सपनों के सच पंख सजा दो,सौगातों के ध्वज लहरादो।
समय चक्र की तान वक्र सी,वाणी वीणा स्वर महकादो ।।
अनुज गीत विश्वास प्रबलता,मन इतना समझाना होगा ।
बेशक कसक बहुत सीने में,दुविधा जहर मिटाना होगा ।।
डॉ अनुज कुमार चौहान "अनुज"
अलीगढ़ , उत्तर प्रदेश ।✍🏽

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