मुखिया जी कैसे बनूँ
कोरोना फुफकार।
जनता से दूरी रखूँ
पल-पल जो लाचार।
पल-पल जो लाचार
साल यह बीते ऐसे।
हुआ अजी बेकार
बीस था बिषधर जैसे।
विपत्ति मुसलाधार
बढ़े दिन पर दिन दुखिया।
जन-जन हाहाकार
बनें बता अभी मुखिया।
धन्यवाद।
प्रभाकर सिंह
नवगछिया, भागलपुर
बिहार
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कविता