मिला है अवसर तो माँ के दरबार में दीप जलाने में देर मत करना
आया नवरात्रि का त्यौहार माँ को सिंगार पहनाने में देर मत करना
देखो प्रकृति ने भी धरती सजाई है शाखों पर नयी कपोलें आयी है
चिड़िया चहके कोयल कूके है तुम भी भजन गाने में देर मत करना
खेतों में नयी फसलें लहलहाती है सम्पूर्ण सृष्टि स्वागत गान गाती है
दुष्टो का बेडा गर्क जो करे उसका दरबार सजाने में देर मत करना
चिंता छोड़ो उपवास करो बाधाएं हर लेगी माँ दुर्गा पर विश्वास करो
अष्ट भुजाओं वाली माता से गुहार लगाओ कि आने में देर मत करना
पाप पुण्य के फेर में फंसी जान है तू सुध बुध खोये बैठा इंसान है तू
रिद्धि सीधी समृद्धि मोक्ष की माता को तू मनाने में देर मत करना
धर्म-कर्म का ज्ञान दो मेरे अंदर तू बैठी है तू इतना मुझको भान दो
नवजात शिशु-सा समझ मुझे अपनी गोद में खिलाने में देर मत करना
फिर से मुझमें शक्ति भर दे मुझमें भक्ति भर दे मुक्ति का ज्ञान दो
यश आरोग्य सुख जय की देवी का आशीर्वाद पाने में देर मत करना
सब कार्य सहज हो जाते हैं पर्वत सरल सुगम पथ देते है मंजिल पाते है
तेरे ही आशीर्वाद की कृपा है ये सब माँ को बताने में देर मत करना
डॉ गुरिंदर गिल
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गीत