(भजन) (भक्ति गीत)
बाबरा मन, मत कर तू नादानी,
एक दिन सूख जाएगा तेरा पानी।
पागल मन, मत कर तू नादानी,
बाबरा मन, मत कर तू नादानी।
एक दिन ऐसा आएगा जीवन में,
खत्म हो जाएगी, पुरानी कहानी।
बाबरा मन, मत कर…………..
पानी का बुलबुला जैसा जीवन है,
तुम क्यों बनते आज अभिमान?
पूर्णिमा बाद अमावश भी आता है,
नित नित आती न शाम सुहानी।
बड़ा शुभ अवसर मिला है तुमको,
यहां वहां मत बर्बाद कर जवानी!
बाबरा मन, मत कर…………..
सब कुछ झूठा, एक प्रभु है सच्चा,
जो दूर करता है, जग की परेशानी।
कर भरोसा उस परमात्मा के ऊपर,
जो देता है हर प्राणी को जिंदगानी।
पाने की चाहत ही तो कष्टदायक है,
खोने में कुछ, कोई नहीं है बेईमानी।
बाबरा मन, मत कर………….
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार
Tags:
गीत