नव सी नवशीलता सा एक भव्य उपहार दे

वन्दना
(गीत)

नव सी नवशीलता सा
एक भव्य उपहार दे
हे प्रभु हे प्रभु 
एक सुंदर सा विचार दें

शांति और सुख से हो
निर्मित यह धरा
उच्च कोटि सी मनसा
और उल्लासित संसार दे
हे प्रभु हे प्रभु 
एक सुंदर सा विचार दें

सम खंडो में विभाजित
एक पंचमुखी दीप जले
झूठ और अत्याचार का
ना कभी व्यपार हो

कलयुग सी इस संसार में
स्वयं से स्वयं का आभार दे
हे प्रभु हे प्रभु
एक सुंदर सा विचार दें

पुरुषों के सामर्थ्य में 
सहनशक्ति बारम्बार दे
हूं तेरे भक्ति में खड़ा अडिग मैं
मुझे तू एक बार पुकार दे
हे प्रभु हे प्रभु 
एक सुंदर सा विचार दें।।

एक निवाले के बिना
ना कोई मौत के भेंट चढ़ें
अन्न के अल्प दानों से
परिपूर्ण एक आहार दें
हे प्रभु हे प्रभु
एक सुंदर सा विचार दें।

✍️दीपक कुमार पंकज मुजफ्फरपुर बिहार

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