भारतीय संस्कृति
भारतीय संस्कृति से जग सुसंस्कृत हुआ,
इस संस्कृति का कहीं कोई जवाब नहीं है।
कितनी सदियों को, इससे ज्ञान मिला है,
इस जग में इसका कोई हिसाब नहीं है।
भारतीय संस्कृति लाजवाब, बेमिसाल है,
बड़ा गौरवशाली लगता इसका इतिहास।
दुनिया ने यहीं से, सब कुछ सीखा है,
पूरी दुनिया करती है, इसका एहसास।
जग ने सभ्यता की वर्णमाला पढ़ी यहीं,
ज्ञान विज्ञान का भी हुआ पूरा विकास।
सारे जग ने इस संस्कृति का दम देखा,
कोई संस्कृति नहीं फटकी है आस पास।
आज भी सारी दुनिया किया करती है,
भारतीय संस्कृति का दिल से गुणगान।
इस बात का इतिहास गवाह है आज भी,
भारतीय संस्कृति की है अलग पहचान।
यह संस्कृति हमें हद में रहना सिखाती,
छोटे को प्यार और बड़ों को सम्मान।
कठोरता, क्रूरता आदि से दूर रखती है,
भारतीय को बनाना चाहती है दयावान।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार
Tags:
कविता