जब खास इंसान आम इंसान की चिंता नहीं करतें हैं
तो आम इंसान खास इंसान की चिंता के पिछे क्यों भागते फिरते है
वो भी फ्रि में
कुछ लोग तो वाहवाही करतें मरे जातें
उनको नहीं मालूम की उनका वो खास लोग अपना समय-समय पर सिर्फ इस्तेमाल किएं जा रहें
और वो भी कई कइयों साल से करते चलें आ रहें है
निजी फायदा हो तो कोई दिक्कत की बात नहीं
क्योंकि खास इंसान हमेशा फायदा देखकर शब्दभेद को चलाता है
उसको भी समय-समय अंदाजा लगाना पड़ता है
कि कहें हुएं शब्दभेदी अभी भी काम कर रहें है या नहीं
अगर नहीं तो फोकट में वो अपना शब्दभेदी नहीं चलातें
तो खास लोग के शब्दभेदी बातों में न पड़ें
वैसे भी सिर्फ बताया ही जा सकता है
करना या न करना आम लोग स्वयं ही तय करतें हैं।
सिंह अमृत
ss5078833@gmail.com
8655535663
Tags:
आलेख