वतन की ललकार

वतन की ललकार 
वतन ने ललकारा  अब    हमें साथीयों 
    बादल संकट के अब होशियार साथीयों ॥ 

   कोरोना महामारी का  है प्रकोप साथीयों
   इस से अपना     बचाना वतन साथीयों ॥ 

   रूखी सुखी खा काट लेंगे दिन साथीयों 
    अब तो घर से निकालना है बंद साथीयों ॥ 

   पास जो हमारें  वतन का  ही     साथीयों 
    कुर्बान करने कॊ हर पल तैयार साथीयों ॥ 

   धन दौलत शोहरत  पल पल  साथीयों  
    वतन पर न्यौछावर ये तन साथीयों    ॥ 

    नही भूख  से मरे  यहाँ कोई साथीयों 
 . .मिल बाट खा लेंगे हम रोटियाँ साथीयों  ॥ 

  पास जो भी निर्दोष वतन   का  ही   है 
   सब लूटा देगे हम वतन  पर    साथीयों ॥ 

    हुक्म प्रधान का सर आँखो पर साथीयों 
    अब तो घर में  ही  रहना पसंद साथीयों ॥ 

                 निर्दोष लक्ष्य जैन 
                  धनबाद

Please Select Embedded Mode To Show The Comment System.*

Previous Post Next Post

Contact Form