प्रेम
प्रेम किये धक धक किये
धड़कन जो तू तोल।
हम पीछे तेरी चले
कब बोलोगी बोल।
आओ मिलकर हाँ कहें
प्यार करो तुम आज।
सपने सच करके रहो
मतकर पगली लाज।
जीवन मिलते एक ही
जीवन का है मोल।
प्रेम किये धक-धक करे
धड़कन जो तू तोल।
प्रेम अगन समझा करो
हाथ-हाथ में डाल।
सुर लय मय संगीत
चलो लयबद्ध चाल।
हम तुम ऐसे मिले
पोर-पोर क्यों डोल?
प्रेम किये-------------
प्रेम वासना खेल ना
राधा की है लाज।
कृष्ण करतब प्रेम यही
कहलाये वे रास।
अब प्रेमग्रंथ कृष्ण के
प्यारी तुमही खोल।
प्रेम किये धक-धक करे
धडकन जो तू तोल।
प्रभाकर सिंह
नवगछिया, भागलपुर
बिहार
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कविता