मातम

मातम

प्यार  के  थे  आपने  मौसम  दिये।
आशियाना तोड़ कर हर ग़म दिये।।

साथ  तेरे  चाँद  अपने  साथ  था।।
चाँदनी  के  रूप  में  मातम  दिये।।

हर   तमन्ना   आपसे   मंसूब  थी।---सम्बंधित
आप ऐसा तौर क्यों हमदम दिये।।

हम  मरे  तुम  पे  मरेंगे उम्र भर।
दर्द  सारी  उम्र  को जानम दिये।।

क्या ख़ता हमसे हुई बतला ज़रा।
प्यार में क्यों आपने बरहम दिये।।---गुस्सा

कर सितमगर और तू अपने सितम।
दिल को लगता है अभी कुछ कम दिये।।

बे-क़रारी  का  गिला  बेकार  है।
ज़िन्दगी को जब हमारी सम दिये।।---विष

छीन कर सारे उजाले दिलरुबा।
उम्र भर को अब हमें ये तम दिये।।---अँधेरे

जी नहीं सकता'बिसरिया'बिन तेरे।
प्यार लोटा दो तुम्हें जो हम दिये।।

बिसरिया"कानपुरी"

ग़ज़ल
रदीफ़-दिये
हर्फ़े-क़वाफ़ी-अम
क़ाफ़िया-मौसम
नापनी-२१२२   २१२२    २१२

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