मृत्यु के बाद जीवन
मृत्यु एक पहेली हैं जो हर किसी से जी भर कर खेली है ।
बचपन जवानी और बुढ़ापे संग चलती हरदम रैली है ।।
सच है जीवन का जन्म के बाद मृत्यु ही सच्ची सहेली है ।।
है जीवन के बाद भी जीवन जहां जीवन का दरवाजा खुलता है ।
एक शरीर खत्म होता तो नया शरीर दोबारा से मिलता है ।
जन्म बन्धन का चक्र युगों युगों तक ऐसे ही फिर चलता है ।
परमाणु से अणु अणु से फिर पिंड का सृजन फिर होता है ।
बचपन जवानी और बुढ़ापे का साया जीवन में चलता है ।।
आत्मा अजर-अमर है नहीं कभी यह मरती है ।
गीता की जुबानी जीवन की कहानी जीवन भर चलती है ।
नहीं कोई अमर इस दुनिया में सबको इक दिन जाना है ।
हर रिश्ता नाता जीवन के अंतिम छण में होता फिर बेगाना है ।।
हरि नाम की ओढ़ चुनरिया जो हरि भजन में लीन हैं ।
उसके लिए तो मृत्यु भी जीवन का एक अनोखा खेल है ।।
मैं या मेरा यहां कुछ नहीं हर दिल से ही हमारा नाता है ।
कौन साथी कब मिलकर बिछड़े इसका पता नहीं हो पाता है ।।
कर्मों का बन्धन ही बस हर जन्म में सच्चा साथ निभाता है ।
कल पता नहीं मनुज से पशु पक्षी कीट पतंग हम बन जायें ।
लगें पंख दूर गगन में आसानी से तारों से हम मिलकर आयें ।।
हर घमंड से उपर देखें मनुष्य शरीर जल्दी नहीं मिलता है ।
ऐसे कर्म करते चलें जिनको सारा जमाना हरपल तरसता है ।।
न हो हमसे बुरा किसी का न किसी बुराई में पड़ें ।
बुरे कर्म करके फिर ऊपर वाले की कठिन जेल में सड़ें ।।
अच्छा बुरा सोचें हम तभी हम कुछ काम करें ।
मृत्यु के बाद भी जीवन है ना इसको हम खराब करें ।।
जय हिन्द जय भारत वंदेमातरम
चन्द्र शेखर शर्मा मार्कण्डेय
जनपद अमरोहा उत्तर प्रदेश
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कविता