रोमांस
प्रेम की सीढ़ी चढ़कर जब प्रीत पराई हो गई ।
श्रंगार रस की पंक्तियों में प्रेम कविता हो गई ।।
दोनों अनजाने तन मन मिलकर सपने बुनते हैं ।
उनके घर आंगन में तब रोमांस के फूल खिलते हैं ।।
नयी पुरानी यादें ताजा होकर बच्चों में ढल जाती है ।
स्कूल कालेजों की प्रेम कहानी शादी में बदल जाती है ।।
फिर होती चिक-चिक रोज प्रेम दिवाने हरपल रोते हैं ।
स्कूल कालेजों के प्रेम सम्बन्ध फिर जीवन भर ढोते हैं ।।
किसी एकान्त कोने में रोमांस के पल कैसे रंग दिखाते हैं ।
आगे चलकर यही सम्बन्ध प्रेम की गांठ में बंध जाते हैं ।।
मगर नर निशाचर प्रेम पथ पर गहरा दाग लगाते हैं ।
यही अवैध सम्बन्ध तो जीवन की मुसीबत बन जाते हैं ।।
प्रेम विश्वास के धरातल पर लक्ष्मण रेखा बनाता है ।
जो नियमों में ढलकर रहता वह महान बन जाता है ।।
सीता सावित्री अनुसूया ने भी प्रेम का अर्थ समझाया है ।
पति पत्नी के प्रेम सम्बन्ध का भावार्थ समझाया है ।।
ऐसा हो प्रेम सम्बन्ध हमारा दुनिया तोड़ सके ना ।
जीवन का यह रिश्ता ऐसा हैं कोई कभी छोड़ सके ना ।।
हां रोमांस योग का ही एक अनोखा पहलू कहलाता है ।
जो निष्काम भाव से प्रेम करे तो ईश्वर में ही रम जाता है ।।
जय हिन्द जय भारत वंदेमातरम
चन्द्र शेखर शर्मा मार्कंडेय जनपद अमरोहा उत्तर प्रदेश
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