जन्म दिन
एक अहसास हुआ जो वर्ष गुजरने पर पता चलता है ।
एक एक दिन जीवन का हर दिन कम तर होता जाता है ।
बढ़ती उम्र का अहसास तब जन्मदिन पर उबर आता है ।।
केक काटा मिठाई खिलाई गुब्बारों को फिर फोड़ा जाता है ।
जैसे जैसे गुब्बारे फूटते हमको कुछ अहसास होता जाता है ।।
जीवन के दुखों को बोझ जन्मदिन पर कुछ छूट सा जाता है ।
खट्टा मीठा स्वाद जीवन का जन्मदिन मे समा जाता है ।।
आओ हम जन्मदिन की यादों को वृक्षारोपण से अब सींचे ।
वृक्षारोपण करके हम सब एक लकीर मिलकर खींचें ।।
जितने वर्ष के हुए हम उतने पौधे हम लगाने सीखें ।
आने वाली संतति का हम जीवन बचाना हम सीखें ।।
फल फूलों के बीच जन्मदिन मनाना हम सीखें ।
मुरझाते जीवन के उपवन को सिंचित करना सीखें ।।
होगी खुशियां बड़ी जन्मदिन की मुस्कान सजाना सीखें ।
कोरोना से बचने हेतु मास्क लगा नमस्ते करना हम सीखें ।।
जय हिन्द जय भारत वंदेमातरम
चन्द्र शेखर शर्मा मार्कंडेय जनपद अमरोहा उत्तर प्रदेश
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कविता