विषय कुछ पेचीदा है समुद्र तट पर मैं जैसे बैठा हूं ।
सोच रहा हूं कैसे इन जीवों को खोज कर लाऊं मैं ।।
इन जीवों पर एक छोटी सी सुंदर सी कविता बनाऊं मैं ।।
तारपीडो मछली जो बिजली जैसा करंट लगा जाती है ।
उसके करंट से जैसे बड़े जीवों को भी नानी याद आ जाती है ।।
शार्क मछली उछल कूद कर सबको लुभा जाती है ।
जो भी उसके सामने उसको निवाला बना जाती है ।।
व्हेल मछली की मत पूछो बड़ी सयानी सी वो लगती है ।
बात बात में बड़े बड़े जहाजों का भी वो काल बन जाती है ।।
हाथी जैसे विशालकाय जीव भी उसके सामने पानी भरते हैं ।
बड़े बड़े समुद्री जीव भी व्हेल दीखने से डर जाते हैं ।।
समुद्र हुआ इन जीवों से मालामाल हीरे मोती बिखरते हैं ।
शंख मोती मूंगा और अन्य रत्न समुद्र में ही तो अक्सर मिलते हैं ।
आज समुद्र में होती हलचल बड़े विनाश की कहानी लिखती है ।
विभिन्न देशों की बढ़ती प्रतिस्पर्धा इन जीवों पर भारी पड़ती है ।।
इन जहाजों का बढ़ता प्रदूषण जीवों का काल बन जाता है ।
नाराज होकर समुद्र भी तब सुनामी का कारण बन जाता है ।।
प्रदूषित जल वाष्प बनकर जब आसमान में पहुंच बरस जाता है।
जो जल धरती को हरा भरा बनाता मुसीबत सा बन जाता है।।
जल जीव भी तभी सुरक्षित समुद्र में हमेशा रह सकते हैं ।
जब हम उनकी रक्षा हेतु कम समुद्र का दोहन करते हैं ।।
जय हिन्द जय भारत वंदेमातरम
चन्द्र शेखर शर्मा मार्कंडेय जनपद अमरोहा उत्तर प्रदेश
Tags:
कविता