रुसवाई

 रूसवाई 
दर्द का रिश्ता जिंदगी  से जुड़ने लगा।
दिल टूटा इस तरह, फिर बिखरने लगा।
तन्हाई  मे धडकने रुलाने लगी।
न जाने क्यो ,बीते दिने की रुसवाई सताने लगी।
बंजर जमी पर काँटो के  जो पौधे लगे थे।
उन से फूलो की उम्मीद  नही करेगे।
दिल के गलियारो को अश्रुओ से भर दिया।
उन्के कदमो की आहट आने लगी।
बेजान बुत माटी का  साँसे ले रहा।
अरमानो की बारिशे छलछलाने  लगी।
उम्मीद  टूट न जाए , दम निकलने से पहले 
दस्तक दोगे आस लगाए जिदगी की  दहलीज पर
दर्द  मीठा लगने लगा जो मिला।।
जीने की आस नही ,मरने का खौफ नही।
तुझ पर मर मिटे है।  जमाने की जिल्लतो  का अफसोस नही।
गैरो से मिले फरेब हँस कर सह लिए। 
तेरे दिए जख्म नासूर बन गए। 
दर्द  और हम  कुछ  इस तरह मिल गए। ।
जीवन के रंग गम से मिले हम 
प्यार के रिश्ते रंगहीन हो गए। 
आकांक्षा रूपा चचरा
कटक ओडिशा

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