सावधानी
एक दिन की बात है पानी नहीं आया था गीता मेम बहुत परेशान थी पानी आने का रास्ता देख रहीं हैं अन्दर-बाहर हो रहीं हैं जैसे पानी आया तो नल आवाज करने लगा वे समझ गई कि पानी आ गया । उन्होंने मोटर चालू किया मोटर के बिना पानी की एक बूॅंद भी उनके नल में नहीं आती थी, पानी का पम्प चालू किया तो मोटर चल नहीं रही है। मेम परेशान होने लगी क्या करें ? कैसे सुधरेगी ? इतने में याद आया तारा मेम पम्प ठीक कर लेती हैं। तुरंत वे तारा मेम का दरवाजा खटखटाया तो अन्दर से आवाज आई हॉं मेडम पीने का पानी भर रही हूॅं पाॅंच मिनिट में आती हूॅं। पाॅंच मिनिट बाद मैडम क्या बात है ? भाभी देखो न पम्प चालू नहीं हो रहा कुछ कीजिए मेरे यहॉं पानी नहीं हैं । गीता मेम बड़बड़ाती हैं रोज का नाटक है समय पर पानी नहीं आता,आया भी तो दस समस्या आती हैं आज मैं फिर स्कूल के लिए लेट हो रहीं हूॅं आज मुझे स्कूल में बहुत डाॅंट लगने वाली है प्रिंसिपल सर को बताती हूॅं तो कहते हैं हम कुछ नहीं जानते यह आपकी घरेलू समस्या है । सही बात भी है एक दिन हो तो समझ लेंगे रोज़-रोज़ खुद को भी अच्छा नहीं लगता तारा मेम देखती हूॅं क्या हुआ है ? देखिए न भाभी मोटर को क्या हो गया ? काफी परेशान हैं गीता मेडम । तारा शांत स्वभाव की धैर्य रखने वाली महिला है वह बड़ी शालीनता से पम्प के पास आती हैं बिजली के तार को उठाकर मेम इसके तार कनेक्शन निकल गया है पेंचकस लाना पड़ेगा । इतने में तारा अपने कमरे की ओर बढ़ते हुए अन्दर चली जाती है ऑंगन में बच्चे खेल रहें हैं हल्की वर्षा हो रही है वे पानी की बूॅंदों को अपने हाथों में भरने की कोशिश कर रहे हैं । गीता मेम बिजली की टूटी तार को उठाती है उसमें करेंट रहता है उनकी उंगलियों के बीच में तार का करेंट पकड़ लेता है,वहॉं ऑंगन में एक महिला खड़ी है गीता मेम ऊऊऊऊ कर रही है वह महिला क्या हो गया ? क्या हो गया? क्या हो गया? ऑंखें फाड़कर देख रही है। तारा मेम हाथ में पेंचकस लेकर ऑंगन में प्रवेश करती है देखते ही तुरंत समझती है दौड़ते-भागते गीता मेम के कमरे में जाकर फुर्ती के साथ बिजली का स्विच (बटन) बंद कर बाहर निकलती है गीता मेम जमीन में गिर पड़ती हैं बहुत से किरायेदार वहॉं आ जाते हैं। गीता मेम को सभी उठाते हैं अरे ! बेहोश हो गई बेहोश हो गई काफी शोर होने लगा चारों तरफ से लोग इकट्ठा होने लगे हैं क्या हो गया ? क्या हो गया ? सभी उठाकर के अन्दर बिस्तर में लेटाते हैं कुछ ही देर में गीता मेम होश में आ जाती हैं। तारा जल्दी से एक गिलास दूध लाकर गीता मेम को पिलाती है और सभी मिलकर अस्पताल ले जाते हैं डॉक्टर साहब तुरंत उनका चेकअप करते हैं और बताते हैं कि वह एकदम ठीक हैं आप लोग घबराइए नहीं ठीक हो जाऍंगी कुछ देर बाद उनको दवा दी जाती है मेम चेतन अवस्था में आ जाती हैं। डॉक्टर साहब कहते हैं आप लोग मेडम को घर ले जा सकते हैं। आराम करने दीजिएगा। घर आकर तारा मेम खाने को देती हैं। आप आराम कीजिए मेम मैं थोड़ी देर से आती हूॅं । कुछ आवश्यकता हो तो बताइएगा। तारा घर में आकर आज स्कूल में आवेदन पहुॅंचाना पड़ेगा समय ज्यादा हो गया है, सभी शिक्षक बच्चे जा चुके हैं तारा बाहर निकल कर कुछ देर देखती जान-पहचान वाले मिल जाते तो आवेदन पहुॅंचा देती । इतने में पहचान के सर निकलते हैं आवेदन पत्र देते हुए तारा सर एक कष्ट कीजिएगा आवेदन पत्र स्कूल में दे दीजिएगा, जी मेडम दे देंगे। अन्दर आकर तारा अपनी बेटियों को समझाती है। बेटा कितनी भी जल्दी हो कितना भी आवश्यक कार्य हो जीवन से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं हो सकता आग,पानी, गैस,बिजली का उपयोग करते समय मन को एकाग्र रखकर, सावधान होकर कामों को करना चाहिए । क्योंकि हम जल्दबाजी में भूल जाते और गलती से कभी बिजली,गैस, का बटन चालू छोड़ देते हैं कभी पानी गर्म करने वाली मशीन लगाकर कर भूल जाते हैं तो कभी प्रेस या अन्य सामानों को । घबराना नहीं चाहिए लेट हो गए तो आने वाले दिनों से अपने समय में सुधार करना है न कि जल्दबाजी, जल्दबाजी करने की बिल्कुल आवश्यकता नहीं है भले लेट हो रहें हैं पर काम को एकाग्र चित्त होकर ही करना चाहिए ताकि कोई अनहोनी घटना न घटने पाए। जल्दबाजी में अक्सर कई काम बिगड़ जाते हैं और देरी होती है गीता मेम बिजली का बटन चालू कर के बंद करना भूल गई थीं इसी कारण से आज यह घटना हुई । तारा कहती है आज थोड़ी देर और बाहर न निकलती तो पता नहीं क्या हो जाता ? बहुत बड़ी अनहोनी होने से बचा ली। तारा की बेटियॉं बहुत घबराई हुई हैं चुप मम्मी की बातों को कान लगाकर सुन रहीं हैं, कहती हैं मम्मी जी किसी भी काम में लापरवाही नहीं करना चाहिए काम करते समय मन में एकाग्रता रखना है । बड़ी बेटी कहती है बिजली का तार पड़ा था मैं स्वीटी को बार-बार बोल रही थी कि उस पर पैर न रखना यह सुनकर तारा सोचने लगी ऐसा भी हो सकता था कि बच्चे उस पर पैर रख देते या ये भी हो सकता था कि हम तार को पकड़ लेते आज बहुत बड़ी घटना होने बच गई हमें सावधानी से हर काम को करना चाहिए । अच्छा बेटा हम मेम से मिलकर आते हैं ।तारा गीता मेम के दरवाजे की तरफ चल देती हैं।
त्रिवेणी मिश्रा 'जया' जिला डिंडौरी मध्यप्रदेश
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