आशा है, विश्वास है....!
माँ मेरी, मेरा साहस है....!!
अंधकार में उम्मीद की
किरण बन जाती है....!
जब धूप आती है मुझ पर तो
अपने आँचल की छाँव दे जाती है....!!
अभिमान है, स्वाभिमान है....!
माँ मेरी, मेरी पहचान है....!!
तकदीर भी अपना रास्ता बदल लेती है,
जब साथ में माँ का साया चलता है....!
हर दु:ख भी सुख में खुद को तब्दील कर लेता है,
जब सर पर माँ का हाथ रहता है....!!
सार है, विस्तार है....!
माँ मेरी, मेरा संसार है....!!
एक परछाई सी हूँ मैं तेरी,
अस्तित्व है तूँ मेरी....!
मैं तो हूँ छोटा सा सहारा,
विशाल उप्लब्धि है तूँ मेरी....!!
दौलत है, शौहरत है....!
सब माँ की बदौलत है....!!
कुमारी आरती सुधाकर सिरसाट
बुरहानपुर मध्यप्रदेश
स्वरचित एवं मौलिक रचना।
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कविता