माँ
क्या मिसाल दूँ में माँ की ममता की जिसने ख़ुद भूखी रह कर मुझे खिलाया है..!!
जुझती रहीं ख़ुद मुसीबतों के पहाड़ से फिर भी मुझे हर दुःख दर्द से बचाया है..!!
कभीं खिलाया होगा खिलौनों से तो कभीं आँचल मैं छिपाया होगा, तो कभीं सुनाकर कहानियाँ मुझे हंसाया होगा..!!
लाख ग़लतियों को भी माँ माफ कर देती है, लगा कर अपनी जिंदगी दाव पर अपने बच्चों को जन्म देतीं है..!!
चहरे में उसके ममता झलकती है हों जाऊँ अगर एक पल के लिए ओझल तो मेरे दीदार को तरसती है..!!
माँ के चरणों में जन्नत है ख़ुदा से माँगी हुई मेरी पहली और आखिरी मन्नत है..!!
राधा रानी बिजनौर (उत्तर प्रदेश)
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कविता