शीर्षक : बिटिया रानी
चिड़िया सी चहकती बिटिया
खुशियां से घर को महकाती
लाड लड़ाती है मां बाबा से,
घर की रौनक ये बन जाती है
न मारो इनको जन्म से पहिले
घर को ये ही स्वर्ग बनाती है ।।
बिटिया भी चिराग है घर का
रखती है मान मायके का अपने
और ससुराल में नाम कमाती है
मात पिता की सेवा करती रहती
बिन स्वार्थ के प्रेम सदैव लुटाती
ये दो कुलो का मान बढ़ाती है ।।
ले भूमिका एक नारी की बिटिया
अपना यह सारा संसार चलाती हैं ,
कव बड़ी हुई ये ममता को पाकर
अपनी ममता सब पर लुटाती है ,
करती परिश्रम साधना जीवन की
बिटिया घर को घर बनाती है ।।
आओ ले प्रण इनकी रक्षा का
जो जीवन के दीप जलाती है ।।
मेरी प्यारी बिटिया को समर्पित .....कनिष्का दुबे
प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)
ग्वालियर मध्य प्रदेश
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कविता