बिजूका / काक भगौड़ा

  बिजूका / काक भगौड़ा  

निरंतर खड़ा  रहता है जो 
खेत में लेकर के सन्यास ,
न रोटी चाहिए न पानी की आस 
धूप विजुरिया बादल बरसे 
चाहे धूल जाए पूरा लिवास
निरंतर देखती आंखे उसकी 
जैसे सबपर नज़र जमाता !
खेत की करता पहरेदारी
श्रीमान बिजूका कहलाता।।

पूरा दिन खड़े रहकर खाली
खेत की करता है रखवाली
किसान का सच्चा पहरेदार
अम्मा इसको खूब सजाती
काग भगोड़ा भी कहलाता
इसके डर के कारण खेत पर
कोई पक्षी न खाता दाना 
डरते पशु इसको देखकर 
पुतला होकर सबको डराता   ।।

प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)
ग्वालियर मध्य प्रदेश

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