मानव महान वही

मानव महान वही
       

वैचारिक कान्ति सौंदर्य में  सुवृध्दि करे,
मानवता  महक  बिखेरे  जन - जन  में।
सत्य शुचि सेवा से सदा सुख देने वाला,
रहे   लवलीन  सत्संग   हरि  भजन  में।

परोपकार  प्यारमय  उन्नत जीवन बना,
सर्व  हित शुभ  ही  बसाये सु- नयन में।
अवगुण,विकर्म,आलस छोड़ आगे बढ़े, 
तत्पर   रहे   सदा  सदगुण   चयन   में। 

अभय  अडिग  सु-अतुल अनमोल बने, 
शुद्ध  नजर  नेकी  नियत  नेक  दान में।  
पल - पल  उध्धत  परहित  परमार्थ  में,
फले -फूले सुख पाये भक्ति भगवान में। 

मानव से जीवन को सुफल  बनाने हेतु,
गोता  लगाये  प्रभु  प्रदत  वेद  ज्ञान में। 
पर  पीर  हरने  में  धीर  व  गम्भीर बन,  
सुख  पाये  नित  नव पर खुशी मान में। 

काम-क्रोध,लोभ-मोह छोड़े व्देष- दम्भ,
अन्दर  से  जाग  शीघ्र भागे दुराचार से। 
लिखे  सत्य सार सुविचार परम अनूठा, 
जीत  लेवे  मन सबका सेवा सत्कार से।

जग  को  सजाये सत्कर्म में  निमग्न रह, 
विश्व  बन्धुत्व  शान्ति लाये शुभ प्यार से।
मानव  महान  सच  कवि  बाबूराम वही,
अन्तर  मुख होके सदा बचे अंधकार से।

""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""
बाबूराम सिंह कवि
बडका खुटहाँ, विजयीपुर 
गोपालगंज (बिहार)841508
मो॰ नं॰ - 9572105032
"""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""

Please Select Embedded Mode To Show The Comment System.*

Previous Post Next Post

Contact Form