हिन्दी अपनी आन
हिंदी अपनी जान है,
हिंदी अपनी आन।
हिंदी से संसार में,
जिंदा हिंदुस्तान।।
हिंदी के संसार में,
भक्त करोड़ों लोग।
खाना पीना ओढ़ना,
हिंदी में संयोग।।
हिंदी अपनी मातृ है,
हिंदी है आसान।
आज विदेशी लोग भी
इसके हैं विद्वान।।
गाँव गाँव में खुल गए,
अँग्रेजी स्कूल।
मुरझाने से रोकना ,
तुम हिंदी के फूल।।
हिंदी में उपलब्ध है,
अब तकनीकी ज्ञान।
हिंदी जग में प्यार की,
भाषा आज महान।।
बृंदावन राय सरल
सागर मध्यप्रदेश
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कविता