राजनीति की टेढ़ी है चाल

राजनीति की टेढ़ी है चाल

नेताओं के बोल ने कर दिया बहुत कमाल ।
जनता दीख रही है असमंजस में आज ।।
उन्माद की इस लहर से होगा क्या देश का हाल ।
नेता ही बन रहे आज जनता के देखो काल ।।
रोजगार विकास सब गौण है जाति धर्म सब और ।
झूठे वादे झूठे सपनों के थैले है आज चहुं ओर ।।
मुफ्त खोरी के लालीपाप देकर जनता को बनाते मूर्ख ।
नेता जी आजकल गरीबों के चरणों में जाते झुक ।।
कोई मंदिर मंदिर घूमता कोई पीर मजार मनाए ।
देख कबीरा हंस रहा कुर्सी कोई दूसरा ले जाये ।।
कुर्सी का खेल निराला है दीखता चहुंओर काला है ।
इन उन्मादी लहरों में कब कौन कहां बहने वाला है ।।
कह शेखर कवि राय शतरंजी बिसातों का जाल बिछा ।
कब कौन सा मोहरा कब किसको कैसे मात देने वाला है ।।
विष वर्षा होती मुख से लगता है नाग सहर्ष मुख वाला है ।
राजनीति के इस महापर्व में कौन किसको पटखनी देने वाला है ।।
जो लोग धर्म निरपेक्षता के बाने गढ़ते बड़े बड़े चौराहे पर ।
इन विष वाणों को देखकर लगता शहर नागों से भरने वाला है।
भारत मां अब देख रही कब कहां कौन मेरा रखवाला है ।।
इज्जत की जहां पगड़ी उछले कब कौन किससे मिलने वाला है ।
अमीरों की इस दुनिया में गरीबों का सिर ही पिटने वाला है ।।
मत तोड़ो उन युवाओं के सपनों को उनका भी कुछ ख्याल करो ।
नये भारत को गढ़ने हेतु युवा शक्ति का अब आवाहन करो ।।
हे भारत के कर्णधारों मन में तुम अब यह विचार करो ।
युवा शक्ति के सहारे ही भारत महा शक्ति बनने वाला है ।।
महाशक्ति इसे बनाना है तो इनके सपनों में पंख लगाने होंगे ।
सभ्यता और संस्कृति के भी अब मायने इनको समझाने होंगे ।।
राम राज का सपना देखा है तो राम के आदर्श अपनाने होंगे ।
सुख शांति और समृद्धि के नदी और नाले फिर से बहाने होंगे ।।
जय हिन्द जय भारत वंदेमातरम
चन्द्र शेखर शर्मा मार्कंडेय 
जनपद अमरोहा उत्तर प्रदेश 

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