अश्रुधारा हूं मैं

अश्रुधारा हूं मैं 
क्या  पता  है  तुम्हें   बेसहारा  हूं  मैं। 
बिन  रुके  बह  रहा  अश्रुधारा हूं मैं।। 
मैंने   इतने   थपेड़े   सहे   हैं   मगर। 
मैंने  बांटी  है हिम्मत  किनारा  हूं मैं।। 
है  चमक - रोशनी  एक  पहचान  हूं। 
टूटकर  चल  पड़ा  एक  तारा  हूं  मैं।। 
मैंने  खोया है अपनों को पर हूं खड़ा। 
भावनाओं  से अपने ही  हारा  हूं  मैं।।
मूल्य को  जी रहा  हूं  जहर  पी  रहा। 
इसलिए  हूं  अकेला   बेचारा   हूं  मैं।।
साफ कहने की रहने की आदत मुझे। 
इसलिए   लोग  कहते  हैं खारा हूं मैं।। 
जिंदगी   है  सदा   दूसरों   के  लिए। 
बेसहारों  का   केवल  सहारा  हूं  मैं।।..."अनंग "

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