बेपनाह इश्क

बेपनाह इश्क

प्यार  किये इकरार किये
फिर  क्यूं हमसे तुम खफा किये
हम कल भी प्यार करते थे 
हम आज भी प्यार करते है

इसलिए तुम्हारे तोफा (चैन)
आज भी गले में अटके है 
रों रों के ये दिल है कहता
शायद मुझमें ही कोई कमी है

इसलिए पड़ोसी है कहता
आज भी हमारे बिना उसे इतना खुशी है
ये दिल बेचारा तड़पता है
तुमसे मिलने को तरसता है

कैसे बताऊं दिल बात 
 किसी को कहने से भी अब डरता है
बता दिया था उस अजनबी को 
जो बीच मझधार में छोड़ गये
आज भी उसके याद में 
हम तड़प तड़प के जी रहे....

रचनाकार योगिता साहू
कुरूद धमतरी छत्तीसगढ़

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