मन में उमंग सज रही होकर अब मस्त मलंग ।।
कोयल की कूक से जंगल हो रहे गुंजायमान ।
काम देव ने छेड़ दी अब अति सुरीली तान ।।
देव भूमि में आनंद हुआ हुआ प्रकाश का आगाज ।
ऋषि मुनि और तपस्वी करते तपस्या आज ।।
भैरव कहे महाकाल से सुनो तपस्वी आज ।
ऋतुओं का राजा बसंत आया बनकर अब सरताज।।
पीले वस्त्र पहन कर दुल्हन बनी धरा फिर से आज ।
राजनीति के चक्रव्यूह में फंसने लगा सारा समाज ।।
वृक्षारोपण करके तुम मानवता के हितरक्षक बनो आज ।
करके जीवन समर्पित मानवता को बनो सबके सरताज ।।
मतदान करना सब नव जीवन की उमंग के संग ।
सोच समझकर कर मत देना मगर न करना रंग में भंग ।।
मुस्कान होंठों पर सजा कर फिर निकलो तुम घर से ।
सब मनोरथ पूरे होंगे खिलेंगे फूल जीवन में फिर से ।।
नव कोपल से वृक्ष सजे करने लगे अब फूलों की बरसात ।
अच्छा लगने लगा है अब शक्कर के संग भात ।।
सरस्वती की कृपा बनी रहे मन में उठे जीवन की उमंग ।
कह शेखर कवि राय मन हो रहा फिर से मस्त मलंग ।।
जय हिन्द जय भारत वंदेमातरम
चन्द्र शेखर शर्मा मार्कंडेय
जनपद अमरोहा उत्तर प्रदेश
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कविता