स्वर की देवी तुम्हें नमन है,स्वर से जीत लिया संसार।
स्वर कोकिला तुम्हें कहते हैं,तुम ही गीतों की आधार।।
ताकत से टुकड़ों को जीता जा सकता है , पर तुमने।
सुर की सरिता बहा-बहाकर,जीत लिया ह्रदयों का द्वार।।
गलियां - गलियां गुजर रहीं , तेरी कोकिल आवाजों से।
सुर लहरी के शमशीरों से , तुमने जमा लिया अधिकार।।
सात - सुरों की देवी आना , यह आर्यावर्त तुम्हारा है।
तेरे चरणों में अर्पित है,जन-जन के अंसुवन की धार।।..."अनंग "
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कविता