बसन्त पंचमी

 बसन्त पंचमी

बसंत पंचमी आई लगता है प्रकृति भी मुस्कराई ।
गेंदा गुलाब और सरसों से प्रकृति में अलग छटा  छाई ।।

सरस्वती के उपासक करने लगे सरस्वती का वंदन ।
आज देखो सभ्यता और संस्कृति की घटा सी छाई ।।

वैरागी संत और महात्मा देखने लगे प्रकृति का नजारा ।
लगता है जैसे गंगा ब्रह्म कमंडल से निकल कर आई ।।

ऋषि मुनि और सर्व देवों ने मिलकर सरस्वती वंदना गाई ।
देखो धरा पर फिर से नव जीवन की छटा सी अब छाई ।।

हर्ष प्रफुल्लित होकर मानव जीवन जीवन संगीत सुनाता है ।
कोयल की कूक सुनकर जैसे जंगल संगीत मय हो जाता है ।।

आओ मिलकर हम बसंती चोला बहन बसंत पंचमी मनायें ।
हर राग द्वेश से दूर कहीं मन में अलग उमंग फिर जगायें ।।

पढ़-लिख कर विद्वान बनें और विश्व गुरु हम कहलायें ।
विश्व शांति का प्रसार करें और सारे विश्व में छा जायें ।।

जंगल में मंगल कर दें और सबमें उत्साह हम अब जगायें ।
कह शेखर कवि राय दुनिया के हम सब दीपक बन जायें ।।

हर घर में दीप जलाकर सबको हम शिक्षित बनाते जायें ।
न रहे धरा पर दीन दुखी कोई सबमें उत्साह की उमंग जायेंगे ।

जय हिन्द जय भारत वंदेमातरम
चन्द्र शेखर शर्मा मार्कंडेय 
जनपद अमरोहा उत्तर प्रदेश 

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