महा शिवरात्रि
शिवरात्रि महापर्व पर बरस रही कृपा कैलाशी की,
घट घट में विराजे शिव शंभू कृपालु शिवा के साथ ।।
गंगा विराजे शीश प्रभु के , विष धारण किया है कंठ
नंदी करते पहरेदारी शिव प्रभु की प्रिय वासुकी साथ ।।
शिव शक्ति के स्वरूप है, शिव ही सृष्टि के मूल आधार
गुरुओं के भी गुरु है शिव शंकर , है ऊर्जा अनंत अपार।।
अविनाशी शिव अनंत हैं , सच्चिदानंद सदैव ही सत्य
यह सृष्टि विलीन है शिव में ही ,है समाहित पूर्ण संसार ।।
श्रावण मास का माह प्रिय बहुत शिव शंकर को मेरे ,
मेघ रूप में अंबर से बरसे प्रभु की कृपा जब अपार ।।
महा शिव रात्रि पर हरे शिव भक्तों के दुख ,पाप ,संताप
करके प्रभु की आराधना भर लो भक्ति से मन का थाल ।।
है बहुत ही यह सुन्दर काम आज चलो सब शिव के धाम
महा शिवरात्रि पर विल्बपत्र चढ़ाकर लेंगे प्रभु से आशीर्वाद ।।
प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)
ग्वालियर मध्य प्रदेश
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कविता