राग में खो गई रागिनी आपकी

राग में खो गई रागिनी आपकी 

राग में खो गई ,रागिनी आपकी ।
मान ली जान ली,दामिनी आपकी ।।
पास आती दिखी ,आज गाती दिखी ।
आशिकी भी भली ,आजमाती दिखी ।।
चांद पाया सजी , चाँदनी आपकी ।
राग में खो गई,रागिनी आपकी ।।
राह मोड़े दिखे,भाव थोड़े दिखे ।
शाम को जाम के,पाँव ओढ़े दिखे ।।
कांपती भांपती ,बानगी आपकी ।
राग में खो गई, रागिनी आपकी ।।
ज्ञान की रीति सी,शान संगीत सी ।
ताल ही ना मिली,हार भी जीत सी ।।
ख्वाब बीता बुनूँ ,जिन्दगी आपकी ।
राग में खो गई  , रागिनी आपकी ।।
भूल को भूलती ,बेरुखी आपकी ।
पास आके पढ़ी,बेबसी आपकी ।। 
रात सी भा गई ,रोशनी आपकी ।
राग में खो गयी ,रागिनी आपकी ।।
डॉ अनुज कुमार चौहान "अनुज"
अलीगढ़ , उत्तर प्रदेश ।

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