मातृ नवमी ,पितृपक्ष
--------------------------------
1
आता हरइक साल है ,पितृ पक्ष सदा महान।
पितरों का नित हो सदा ,दिलसेआदर मान।।
दिल सेआदर मान,श्रध्दा सुभक्ति अपनाओ।
करो सेवा सत्कार ,सुख संपत्ति सब पाओ।।
कह बाबू कविराय, कर्म है भाग्य विधाता ।
देव सम पितर मान,शान्ति जीवन में आता ।।
2
श्रध्दा रख शिरमौर सदा,मातृ नवमी आया।
आदर सेवा मान से ,लख मातु की छाया।।
लख मातु की छाया, है वर आशीष दाता।
माँ चरणोंमें झुक,जगत सब कुछ पा जाता।।
कह बाबू कविराय ,ध्यान जो माँ का धरता।
होता है भव पार, मातु पै रखे जो श्रध्दा।।
3
दक्ष हो नर पितृ पक्ष में ,दया धर्म को जान।
नवेंदिन मातृ शक्तिका,करो सेवा शुभ ध्यान।।
करोसेवा शुभ ध्यान,प्रगतिपथ बढ़ते जाओ।
छोडो माया जाल,जीवन शुचि दृढ़ बनाओ।।
कह बाबू कविराय ,शुद्ध रख अंतः से कक्ष।
भितर से अब जाग,कर्म करआया पितृपक्ष।।
4
पितृपक्ष में नित जो करें,तर्पण अर्पण दान।
उसपर खुश होते सदा,जग पितृ देव महान।।
जग पितृदेव महान,कुशल क्षेम सभी करते।
हर बाधा भटकाव,भाव शुचिता का भरते।।
कह बाबू कविराय ,वही नर बनता है दक्ष।
श्रध्दा भावसे सिंचे,सर्वत्र लगन से पितृपक्ष।।
5
कुछ लोग तो पितृ पक्ष से,रखते सदा दुराव।
कर्म धर्म को छोड़ सदा ,फैलाते भटकाव।।
फैलाते भटकाव , अंधा भक्ति बद कहते।
करें नर्क में भोग ,रोग दुखड़ा सब सहते।।
कह बाबू कविराय,पाते सब निजकर्म भोग।
सत्य ज्ञान को मान,जगत झूठे हैं कुछ लोग।।
-----------------------------------------------------------
बाबूराम सिंह कवि
बडका खुटहाँ ,विजयीपुर
गोपालगंज (बिहार)841508
मो॰नं॰ - 9572105032
-----------------------------------------------------------
Tags:
बाबूराम सिंह कवि