एक अजीब नौजवान व्यक्ति
एक रोज अचानक मेरे पास आया
बहुत छोरों से दरवाजा खटखटाया
मै कुछ लिख रहा था कुछ सीख रहा था
पर छोड़ कर फौरन आया
दरवाजा खोला और बोला
क्यों भाई क्या बात है?
उसने रूवांसा आवाज में कहा
हमारी हालत देख लीजीये
सुना है आप कवि है
अच्छा खासा कमा लेते हैं
दानी स्वभाव के दयालु व्यक्ति हैं
जो मांगने आता उसे कुछ न कुछ
अवश्य देते हैं
मेरी बातों में कोई त्रुटि हुई हो
तो उसे माफ कीजिये।
साहब कम से कम मुझे
एक सौ रूपये दीजिये
मैने कहा पैसा किस काम में लगाओगे
कैसे और कबतक हमारे पैसे लौटाओगे
वह बड़े हीं दृढ़ स्वर में बोला
पैसा से शराब पिऊंगा मांस खाऊंगा
किसी की जेब काट कर आपके पैसे
किसी न किसी दिन अवश्य
लौटा जाऊंगा
मै कभी झूठ नहीं बोलता साहब
सत्यवादी हूँ
बुरा न मानियेगा माई बाप
पाकिटमारी और शराब का आदी हूँ
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बाबूराम सिंह कवि
बडका खुटहाँ, विजयीपुर
गोपालगंज ( बिहार)841508
मो॰ नं॰ - 9572105032
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Tags:
हास्य व्यंग्य