सुनो , तब आना तुम मुझसे मिलने प्रियतमाजब मंयक की कौमदी सलिल में पडे तब आना

सुनो ,  तब  आना  तुम  मुझसे   मिलने  प्रियतमा
जब  मंयक  की कौमदी सलिल में पडे तब आना

जब  तिमिर  फैला हो चारों दिशाओं में तब आना
निर्जन  हो  जब  ये नीर , पवन, निशा , तब आना

जब  वसुधा  के  ऊपर  मौन  व्योम  हो तब आना
जब प्रसून के ऊपर गिर रही हो शबनम तब आना

बस मेरा आखिरी प्रयोजन  तुम्हें ह्रदय  में बसाना
छोटा सा कल्पत हूँ प्रिय मैं  मेरी  व्यथा  समझना,,

महेश राठौर सोनू
गाँव राजपुर गढ़ी
जिला मु 0नगर

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