हमारी हिन्दी

हमारी हिन्दी

हिन्दी गौरव है, सम्मान है, है हमारी संस्कृति....! 
जैसे पाकर वर्षा को मुस्कुराती है प्रकृति....!! 

हिन्दी ज्ञान है, मान है, है हमारी सम्पत्ति....! 
जैसे संविधान में सभी को समानता है होती....!! 

हिन्दी सभ्यता है, प्रमाण है,  है हमारी प्रगति....! 
जैसे किसी नेत्रहीन के आंखों में नयी ज्योति....!! 

हिन्दी भाग्य है, सौभाग्य है, है हमारी कृति....! 
जैसे हरी निर्मल बत्तियों पर ओस के मोती....!! 

हिन्दी शान है, अभिमान है, है हमारी प्रवृत्ति....! 
जैसे हर हिंदू के मुख पर आशा के बीज है होती....!! 

हिन्दी प्रेम है, समर्पण की भाषा है, है प्रभु की "आरति"....! 
जैसे "नील" गगन में नारायण की बनी हो आकृति....!! 

हिन्दी सार है, विस्तार है, है हमारी कोटि....! 
जैसे निर्धन के हाथों में एक रोज की रोटी....!! 

     लेखिका:- आरती सिरसाट
                 बुरहानपुर मध्यप्रदेश

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