पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का सुअवसर : 29 सितंबर से पितृ पक्ष प्रारंभ।
भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से आश्विन मास के अमावस्या तिथि तक का दिवस पितृ गणों को समर्पित है।यह सुअवसर होता है की हम अपने पितृओं के प्रति श्रद्धा पूर्वक कृतज्ञता ज्ञापित करें।पक्ष के दौरान अपने पितृ के नाम नियमित रूप से नाम उच्चारण कर तलाब तीर्थ स्थल या घरों में तर्पण करना चाहिए। पितृ गणों के देवता अर्यमा माने गए हैं।दोपहर काल में सुनिश्चित तिथि को श्राद्ध कर्म करें।
पितृ पक्ष में कैसे करें तर्पण ?
पितृ पक्ष में हर दिन पितरों के लिए तर्पण करना चाहिए ।तर्पण के समय सबसे पहले देवों के लिए तर्पण करते हैं।तर्पण के लिए कुश, अक्षत्, जौ और काला तिल का उपयोग करना है।तर्पण करने के बाद पितरों से प्रार्थना करनी चाहिए, ताकि वे संतुष्ट हों और आपको आशीर्वाद प्रदान करें।
तर्पण में किस मंत्र का उच्चारण कर प्रार्थना करें ?
देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।
ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।
श्राद्ध तिथियाँ कौन कौन सी 2023 में ?
पूर्णिमा एवं प्रतिपद 29 सितंबर, द्वितीया 30 सितंबर, तृतीया 01 अक्टूबर, चतुर्थी 02अक्टूबर पंचमी 03अक्टूबर ,षष्टी04 अक्टूबर सप्तमी 05अक्टूबर अष्टमी06 अक्टूबर ,नवमी07 अक्टूबर ,दशमी 08अक्टूबर एकादशी 09 अक्टूबर , द्वादशी 11 अक्टूबर, त्रयोदशी 12अक्टूबर ,चतुर्दशी 13अक्टूबर अमावस्या सर्व पितृ मोक्ष 14अक्टूबर।
विजय पंडा
मो. : 9893230736
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