मानव समुदाय के लिए विद्यालय ही वह मार्ग है जिससे विकास के रास्ते तय होते हैं।विकास के लिए शिक्षा की आवश्यकता होती है एवं शिक्षा के केंद्र "विद्यालय" के नए शैक्षणिक सत्र के दौरान अब विद्यालय के पट खुलने वाले हैं।शिक्षण सत्र का पहला दिन छात्र जीवन का एक महत्वपूर्ण दिन रहता है।व्यक्ति को कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं, दिवसों के साथ यदि स्मृति पटल में जीवंत बना रहता है तो उनमें से एक है पालक के साथ विद्यालय में प्रवेश का पहला दिन।शिक्षकों के साथ विद्यालय परिसर का पहला दिन उत्साह उमंग रोचकता से भरा दिन होता है जिसमें भविष्य की कई आशाएं जुड़ी रहती है। उसके लिए पालक समाज को चाहिए रहती है बेहतर विद्यालय भवन एवं अन्य आवश्यक शैक्षिक संसाधन साथ में बेहतर उपयोगी शिक्षा।शिक्षा मानव की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक रही है। शिक्षा दिलाने एवं शिक्षा संसाधन उपलब्ध कराने हेतु कटिबद्ध लोक कल्याणकारी राज्य की संकल्पना सरकार का प्रमुख उद्देश्य रही है।प्रदेश में इसके लिए स्कूलों की भौतिक दिशा में सुधार हेतु सरकार की ओर से कई प्रयास किए गए एवं वर्तमान तक कई अच्छे सकारात्मक परिणाम भी मिले हैं।सरकार ने शासकीय विद्यालयों की दिशा में योजनाओं को लागू कर अपने स्तर से क्रियान्वयन करने एवं उस पर परिणाम लाने हेतु निरंतर प्रयास किया ; जिसके लिए प्रयोगात्मक दौर से भी गुजरना पड़ा। गॉव शहर को मुख्य बिंदु सुनियोजित कर विषयवस्तु को लागू तो किया किंतु बढ़ते प्रतिस्पर्धा में शासकीय विद्यालय की भौतिक सरंचना संसाधन कहीं न कहीं कमतर पड़ रही थी जिसको स्वीकार करते हुए आज गॉव शहर में एक बेहतर शिक्षा के लिए बेहतर संसाधन युक्त विद्यालय उपलब्ध है।संसाधन की उपलब्धता साथ साथ शिक्षकों की उपलब्धता भी स्कूली शिक्षा से लेकर विश्वविद्यालयों तक एक समस्या रही है जिसके परिणामस्वरूप शासकीय शिक्षण सहित शिक्षा शोध व्यवस्था पर सवाल उठते उठाते रहें हैं।सीमित संसाधन के बल पर असीमित उपलब्धि का लक्ष्य निर्धारण करना निःसंदेह सराहनीय है किंतु विकासशील के साथ विकसित राष्ट्र की परिभाषा को भी समझना आवश्यक हो जाता है की आज हम कहां खड़े हैं।फिलहाल जो भी हो समाज सरकार से संसाधन जुटती रहेंगी किंतु समाज राष्ट्र के विकास के लिए मजबूत रीढ़ वाले नागरिक तैयार करने होंगे यह शिक्षक समाज सरकार की सामूहिक जिम्मेदारी बनती है।अब वर्तमान समय में यह भी सामूहिक जिम्मेदारी बनती है की शिक्षा योग्यता विस्तार साथ रोजगार मूलक बने ; यह समय की आवश्यकता भी है।प्रदेश में विद्यालय के पट खुल रहे हैं जहां उमंग ऊर्जा होगी वहीं एक वृहद समूह के लिए सुनहरे भविष्य के सपने होंगे।प्रदेश के स्कूली, विश्विद्यालयीन छात्र छात्राओं सहित आज सभी शिक्षा से जुड़े लोगों के लिए यही संदेश है"खुल गै ईसकुल .... चल जाबो पढ़े।"
विजय पंडा घरघोड़ा
मो. 9893230736
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कविता