भारतीय अर्थव्यवस्था में आत्मनिर्भरता
का उद्देश्य
कोरोना काल ने दुनियां की अर्थव्यवस्था को जड़ से हिला दिया है।आज कोरोना संकट में सब कुछ बदल गया है इन बदली हुई परिस्थितियों में नये भारत का निर्माण नयी अर्थव्यवस्था पर निर्भर होगा।आशा हैं कि कोरोना संकट के बाद चीन से नाराज विदेशी कंपनिया वहाँ से अपनी फैक्ट्री हटाकर भारत मे लगाना चाहेंगीं
बड़ी कंपनियों पर उनके देश की सरकार का दबाव होगा चीन से कारोबार हटाने का ऐसे में सबसे अधिक मौके भारत को मिलेंगे लेकिन यह महज संभावना हैं क्यो किआत्मनिर्भरता का अर्थ राज्यतंत्र पर निर्भरता नहीं है किसी देश की अर्थव्यवस्था के लिये सबसे मजबूत कड़ी वहाँ के किसान और मजदूर होते हैं या यूं कहेंकि यह दोनों अर्थव्यवस्था का स्तम्भ या रीढ़ की हड्डी है इसलिए आत्मनिर्भरता के लिए अनिवार्य है कि सबसे पहले मजदूर और किसानों को वो साधन और संसाधन दिए जाएजिससे आत्मनिर्भर बन सके और अपनी जीविका कमा सके कोरोना के चलते मजदूर अपने गाँव वापिस आगये फैक्टरी बन्द हो गई कितने मजदूरों ने चलते चलते भूख से बीच सफ़र में ही दम तोड़ गये ।कितने वर्कर निकाल दिए गए जो अब बेरोजगारी की राह पर है उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाए आदिवासीयो को वन जंगल संसाधन के रूप में दिए जाए जिससे वो आत्मनिर्भर बन सके जिन्हें सरकार अधिग्रहित करती है जो जीवन पटरी से उतर गया है उसे फिर से मजबूत करना ही आत्मनिर्भर भारत का उद्देश्य होना चाहिए अगर यह बिंदु ज्यो का त्यों है तो आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना बेबुनियाद है अब देखना यह है कि सरकार अपने इस आत्मनिर्भर भारत अभियान में कहाँ तक सफलता को प्राप्त कर पाती है
नेहा जैन
ललितपुर ,उत्तरप्रदेश
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