गौरैया
घर आंगन की मेरी चिड़िया।
कहां गयी मेरी प्यारी गौरैया।।
चूं चूं करके सारे ताने बाने खोए।
गौरैया फफक फफक के रोएं ।।
दाना पानी अब कौन डाले ।
इंसान के हो गये अब मन काले।।
दिया पांच साल से मैंने अण्डे ।
फोड़ दिए बच्चें मारकर डण्डे।।
इस साल भी बांझन रह जाऊंगी।
खुद को कैसे मैं समझाऊंगी ।।
अस्तित्व हमारा अब खतरे में है।
प्राण पखेरू इंसा तेरे वस में है ।।
कौन बचाएगा अब गौरैया को ?
इतना कोई बतलाए गौरेया को।।
पेड़ कटे बन गये पक्के मकान ।
कच्चे मकान के मिटे नामों निशान।।
झुरमुट और झरोखे नहीं अब।
मड़हें का वह बडे़र नहीं अब।।
कहां कहां अब मैं दौड़ लगाऊं।
अपने घोंसले मैं कहां बनाऊं ।।
सारा जहां हो गया शहर बाशिन्दा।
किस किस की मैं करुं अब निन्दा।।
गांव बदल कर हो गया शहर।
मेरा रहना हो गया अब कहर।।
नाम - महेश गुप्ता जौनपुरी
पता - गनापुर,अजोशी,मड़ियाहूं,जौनपुर,उत्तर प्रदेश
मोबाइल - 9918845864
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कविता