*तेवरी*
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अब बन जा तू कान्हा प्यारे
द्रोपदि का चीर बढ़ा प्यारे |
कुछ मात-पिता की सेवा कर
मत केवल गाय बचा प्यारे |
तू सूर्य-पुत्र है कर्ण अगर
धंसना रथ का पहिया प्यारे |
क्या तेरा नाम जटायू है ?
फिर चीख रही सीता प्यारे |
पगले अभेद में भेद न कर
सबको ही मीत बना प्यारे |
*+रमेशराज*
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कविता