गांव गांव में खुल गये, अंग्रेजी स्कूल।।मुरझाने से रोकना तुम हिंदी के फूल।।


गांव गांव में खुल गये, अंग्रेजी स्कूल।।
मुरझाने से रोकना तुम हिंदी के
फूल।।

ये बहुत चौंकाने वाली स्थिती है।
उत्तर भारत के प्रदेशों की , हिन्दी
पट्टी में जितने प्रदेश हैं।उ,प्र, मप्र,
राजस्थान, उत्तराखंड, छः ग, बिहार, और,अन्य प्रदेशों मेंआज बड़े बड़े गांव मैं इंग्लिश स्कूल खुल गए हैं।
और गांव के बच्चे अंग्रेजी स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। जिनकी स्थिति यह है जो न ठीक से इंग्लिश जानते हैं ना हि हिंदी जानते हैं।और मां बाप इसलिए खुश रहते हैं ,और भ्रम में जीते हैं कि उनके बच्चे पढ़ लिख कर अधिकारी बन जाएंगे ।इस गुमान में उनके बच्चे न तो पढ़ पाते हैं न ही खेती का काम कर पाते हैं।और बेरोजगार होकर मां बाप पर बोझ  बन जाते हैं। अक्सर यह देखा गया है कि हिंदी मीडियम से पढ़े बच्चे तो कहीं ना कहीं कुछ रोजगार पा लेते हैं या खेती भी कर लेते हैं। म गर इंग्लिश मीडियम के बच्चे अध कचरे ज्ञान
 के साथ बेरोजगार होकर चोरी डकैती और रहजनी करते देखे गए हैं क्योंकि इंग्लिश मीडियम
से पढ़े बच्चों के खर्च बहुत बढ जाते हैं।और बेरोजगार होने के कारण आर्थिक तंगी में अनैतिक कार्य करने लगते हैं। तथा अपराधी बन कर जेल में देखे जाते हैं। अतः समाज से एवं सरकार से निवेदन है कि इन अध कचरे अंग्रेजी स्कूलों को गांव में खुलने से रोक लगाई जाए और हमारी मातृभाषा हिंदी को प्रोत्साहित किया जाए तथा मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में हिंदी में शिक्षा दी जाए 
साथ में न्यायालयों में जिनमें हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में मैं भी हिंदी में ही केस की सुनवाई हो और अन्य काम भी हिंदी में ही किए जाए।। जिससे अंग्रेजी का महत्व अपने आप आम जनता को कम समझ आने लगेगा।और
 जनता का अंग्रेजी से मोह कम हो जाएगा, और देश में हिंदी का परचम  फहराने लगेगा। आज विश्व में करीब 120 करोड़ लोग हिंदी बोलते हैं और जानते हैं। परंतु हमारे अपने  देश की राष्ट्रीय भाषा हिंदी नहीं है क्यों जिस देश की राष्ट्रीय भाषा उसकी अपनी नहीं होती वे देश तरक्की नहीं कर पाते जितनी उन्हें करना चाहिए। इसलिए आज भी वो दूसरे देशों की तरह कम तरक्की पर हैं।।
   अतः हमारे देश की राष्ट्रीय भाषा हिंदी होना अनिवार्य है, तभी हम अमेरिका रूसऔर चीन की बराबरी कर पाएंगे।। आज के बच्चे हिंदी की गिनती भी नहीं लिख पाते उनसे अगर हम कहते हैं कि६७ लिखो तो नहीं लिख पाते कहते हैं अंग्रेजी में बोलो, हम अपनी भाषा के प्रति उदासीन होंगे तो,
 हिंदी की तरक्की कैसे होगी। हिंदी राष्ट्रीय भाषा कैसे बनेंगे।।
अतः सबसे प्रार्थना है अपने बच्चों को हिंदी माध्यम से पढ़ा यें। हिंदी को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा दिलवाये।।
हिंदी दिवस पर हिंदी के लिए यह हम सब का विशेष उपहार होगा।
   जय हिंदी,जय,भारत
बृंदावन राय सरल सागर एमपी मोबाइल नंबर 786 92 18 525 वरिष्ठ कवि एवं शायर सागर मप्र

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