नज़र मिला के देखो
अब ज़ख़्म सब भुला के देखो,
दुश्मन से हाथ मिला के देखो!
हिल जाती है बुनियाद भी,
बुनियाद तो हिला के देखो!
दिल कोई पत्थर नहीं हमारा,
दिल में फूल खिला के देखो!
यूँ हमसे तुम आँखे न चुराओ,
एक बार नज़र मिला के देखो!
महज हाथ मिलाने से क्या होगा,
तुम दिल से दिल मिला के देखो!
कुछ ऐसा करो कि मिले सुकून,
प्यासे को पानी पिला के देखो!
कि इंतज़ार कर रही है"अदीक्षा"
हमारी भी गली तुम आ के देखो!
=================
*कुमारी अदीक्षा देवांगन*
*बलरामपुर (छत्तीसगढ़)*
================
अब ज़ख़्म सब भुला के देखो,
दुश्मन से हाथ मिला के देखो!
हिल जाती है बुनियाद भी,
बुनियाद तो हिला के देखो!
दिल कोई पत्थर नहीं हमारा,
दिल में फूल खिला के देखो!
यूँ हमसे तुम आँखे न चुराओ,
एक बार नज़र मिला के देखो!
महज हाथ मिलाने से क्या होगा,
तुम दिल से दिल मिला के देखो!
कुछ ऐसा करो कि मिले सुकून,
प्यासे को पानी पिला के देखो!
कि इंतज़ार कर रही है"अदीक्षा"
हमारी भी गली तुम आ के देखो!
=================
*कुमारी अदीक्षा देवांगन*
*बलरामपुर (छत्तीसगढ़)*
================
Tags:
कविता