बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ

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आज से 6 साल पहले 3 मार्च की रात मेरे लिए बहुत बड़ी खुशियों की सौगात लेकर आई थी
6 साल पहले आज के दिन में घर से काम के लिए मध्य प्रदेश ( रीवा )जाना था और मैं घर से चल दिया लेकिन शामली रेलवे स्टेशन पर ट्रेन लेट हो गई और 4:00 बजे आने वाली ट्रेन उस दिन नहीं आई अर्थात में घर लौट आया घर आने के बाद रोजमर्रा की तरह  दिनचार्य बीत कर रात हो गई रात के 2:00 बजे थे और वह 3 मार्च की रात थी मेरे घरवाली को प्रसव पीड़ा होने लगी लेकिन खतरा इस बात का था कि अभी मेरी घरवाली को जितने दिन में  बच्चा पैदा होता है इतने दिन नहीं थे अभी बच्चा होने में 2 महीने का समय बाकी था शायद मुझसे कुछ गलतियां हो गई थी और मेरी घरवाली को 15 दिन से बहुत ज्यादा तकलीफ हो रही थी आखिर हम रात के 2:00 बजे पास के कस्बे में लेकर गए वहां पर डॉक्टर नहीं थे और नर्सों ने सिर्फ पेट दर्द की दवा देकर कहा कि अगर आराम लगेगा तो ठीक है नहीं तो फिर डिलीवरी होगी लगातार मेरी घरवाली की हालत बिगड़ती जा रही थी और जो एक मांँ का दर्द होता है उस दिन मैं उसे पूरी तरह से महसूस कर रहाँ था उसके बाद मुझे वहाँ कस्बे में तसल्ली नहीं मिली और मैं अपने परिवार के साथ अपनी पत्नी को लेकर घर से 50 किलोमीटर दूर मुजफ्फरनगर लेकर पहुंचा वहां की प्रसिद्ध डॉक्टर ने इंद्राणी गुप्ता ने जैसे ही हालत देखी तो उन्होंने एडमिट कर लिया और बोले कि बच्चा आज ही होगा और कैसा होगा और क्या होगा यह ऊपर वाले पर निर्भर है मन में बहुत दुखी हो रहा था मैं जितनी बार भी पत्नी के पास जाता उसके दुख देखकर मैं बहुत ज्यादा दुखी हो जाता और बाहर आकर रोने लगता इसी बीच एक नर्स मेरे पास आई उसके हाथ में एक पर्चा था उसने कहा कि इस पर्चे को पढ़कर तुम साइन कर दो जब मैंने वह पर्चा पढ़ा तो सच मानिए मेरे हृदय की धड़कन रुक गई हो उस पर्चे पर लिखा था कि अभी आपकी डिलीवरी में समय था और फिजिकली कारण उनकी समय से पहले डिलीवरी हो रही है अर्थात बच्चा अविकसित भी हो सकता है गर्दन झुकी हुई हो सकती है कंधा नीचे हो सकता है या किसी अंग में कोई कमी हो सकती है और मेरे  पत्नी का नाम बीना राठौर है लिखा था कि जच्चा या बच्चा दोनों की जान को भी खतरा हो सकता है अर्थात मैं महेश राठौर सोनू आज्ञा देता हूं कि यहीं पर मेरी घरवाली की डिलीवरी हो और मैं डॉक्टरों की राय से सहमत हूं मैंने उस पर साइन कर दिए और बाहर आकर जैसे मेरी दुनिया उजड़ सी गई हो मैं उदास हो गया
आप यकीन ना मानोगे मुझे वहां पर उल्टियां लगनी शुरू हो गई और मैं पूरी तरह से दहशत में आ गया आखिरकार मुझे पता लगा कि मेरी पत्नी को डिलीवरी रूम में ले गए हैं और मैं डिलीवरी रूम पर थोड़ा सा नजदीक बेंच पर बैठ गया कुछ ही समय बाद मुझे बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी उसके बाद वहां से डॉक्टर की जो टीम थी इंद्राणी गुप्ता जी की वह निकली और उन्होंने मेरे भाभी को कुछ कहाँ कहने के बाद मेरी भाभी मेरे पास आई और मुझे बोली कि जाओ 2 जोड़ी छोटे बच्चों के कपड़े लेकर आओ आप  पापा बन गये आप घर लड़की पैदा हुई है आप यकीन मानिए गा जिंदगी में जितनी भी मुझे खुशी मिली है पूरी गली में मैंने लड्डू बटवाये जहां अक्सर लड़का होने पर खुशी मनाई जाती थी लेकिन  हमने लड़की होने पर  उससे भी ज्यादा खुशी मनाई मेरी सबसे अनमोल खुशी है मेरी बेटी मानवी उसका जन्मदिन है 4 मार्च का मेरी लड़की 6साल की होके 7 वे साल में लग जाएगी,,
महेश राठौर सोनू की कलम से

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