आज प्रखर राष्ट्रवादी राष्ट्रीयता के नायक वीर दामोदर सावरकर की पुण्यतिथि पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित करता हूँ
वीर सावरकर
वीर सावरकर महान सेनानी
राष्ट्रीय हित मे दे दी जान की कुर्बानी
अपने त्याग और समर्पण से लिखी अमर कहानी
वो थे सच्चे देशभक्त और हिंदोस्तानी
गांव भागुर (जिला नासिक) उनका जन्मस्थान
दामोदर पंत सावरकर की लाडली संतान
बचपन से ही उठा माता पिता का साया
बड़े भाई गणेश की मिली छत्रछाया
बड़े भाई ने अपना कर्तव्य निभाया
इनकी शिक्षा का भार उठाया
बालपन से ही थे पढ़ाकू और पढ़ाई की और था ध्यान
कविता नाटक साहित्य मे था उनका रूझान
नासिक स्कूल से शिक्षा पाई
फर्ग्यूसन कालेज से कला स्नातक की उपाधि पाई
लंदन से बार एट लाँ की डिग्री पाई
बचपन से मिले राष्ट्र प्रेम के संस्कार
फिरंगियों की नीतियों का किया प्रतिकार
अंग्रेजी बस्तुओं का किया वहिष्कार
अपनी सशक्त लेखनी से किए सरकार पर वार
बाल गंगाधर तिलक के सान्निध्य मे आए
श्याम जी कृष्ण वर्मा छात्रवृति पाई
स्वतंत्रता संग्राम के बने सिपाही
अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध छेड़ी लड़ाई
अपनी कलम से सरकार की नींद उडाई
इंडिया हाउस लंदन मे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की सवर्ण जयंती मनाई
मित्र मेलों का आयोजन किया
नवयुवकों मे जलाया देश प्रेम का दीया
चालीस पुस्तकों का प्रकाशन किया
राष्ट्र भाषा के रूप में हिंदी का समर्थन किया
अंडेमान की सैल्यूलर जेल मे हिंदी का प्रचार किया
कैदियों को हिंदी भाषा मे प्रशिक्षित किया
दो बार कालापानी की सजा पाई
सरकार इन्हें आदर्शों से डिगा न पाई
पी के अत्रे से स्वातंत्र्य वीर की उपाधि पाई
सरकार ने की इनकी बैरिस्टर की डिग्री निरस्त
लेकिन इस राष्ट्र भक्त के होंसले न हुए पस्त
हिंदू महासभा के बने प्रधान
हिंदू धर्म के उत्थान मे इनका योगदान महान
छुआछात के विरुद्ध अभियान चलाया
जातपात का भेद मिटाया
एक अछूत को मंदिर का पुजारी बनाया
हिंदू धर्म को नया रास्ता दिखाया
पूर्ण स्वतंत्रता की मांग को उठाया
आजादी का आंदोलन चलाया
सावरकर ने पहला भारतीय झंडा बनाया
अंतरराष्ट्रीय सोशलिस्ट कांफ्रेंस में मैडम कामा ने फहराया
छापामारी युद्ध की नीति अपनाई
नवयुवकों को दी इस नीति की सिखलाई
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक हैडगेवर से मुलाकात हुई
मुंबई में पतित पावन मंदिर की स्थापना हुई
भारत विभाजन का विरोध किया
अखंड भारत का समर्थन किया
आजादी के बाद देश कल्याण के किए काम
खूब कमाया देश मे नाम
ऐसी विभूति को कोटि कोटि प्रणाम
अशोक शर्मा वशिष्ठ
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कविता