(माता कूष्माण्डा आराधना)
पंक्तियां
“महापर्व चैत्र नवरात्रि की धूम है, सजा है मैया का धाम,
माता कूष्मांडा है विराजमान , है भक्तों में सत्यकाम।
मैया कूष्माण्डा तुम आदिशक्ति हो, सुंदर सृष्टि की,
है यह सारा ब्रह्मांड आदिकाल से तुम्हारे नाम।
दिव्य प्रकाश तेरा, दसों दिशाओं के फैल रहा है,
तेरा रचा जग है, कांतिमान रखना तेरा काम।
सूर्य मंडल निवास तेरा, तेरी आभा सूर्य समान।
सिंह सवार अष्टभुजा देवी, कोटि कोटि प्रणाम।“
आराधना गीत
देखो देखो भक्तों, रूत आज निराली आई है,
सिंहसवार कूष्माण्डा रूप,मां शेरावाली आई है।
प्रभा संग आज, जग चमकाने वाली आई है,
माता कूष्माण्डा, भाग्य जगानेवाली आई है।
देखो देखो भक्तों………..
चमक रही तलवार हाथ में, गले मोती की माला,
धूप से ऊपर रूप मां का, चहु ओर फैला उजाला।
जो चाहो मांग लो भक्तों, खुला है मां का दरबार,
सबकी तरह मेरी भी झोली, खाली आई है।
देखो देखो भक्तों……………
नवरात्र का दिन आज चौथा, मां कूष्मांडा है छाई,
गुड़हल फूल से सजाओ मां को, घड़ी वह आई।
सोन पायल मां कूष्माण्डा के पावों में पहनाओ,
चरणों में मां के, महाबर लाली निराली आई है।
देखो देखो भक्तों………………
कोरोना के भाग्य में मित्रो, अब रोना ही रोना,
भक्तों की झोली में, हीरे मोती व चांदी सोना।
बहुत हो चुका है अब, था जो कुछ बुरा होना,
मैया के स्वागत में, घड़ी ये मतवाली आई है?
देखो देखो भक्तों………………..
“या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नमः।“
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार
Tags:
गीत