ड्रग्स एंड मैजिक रेमिडीज एक्ट १९५४ एवं भारतीय चिकित्सा के व्यवसाय (वृतिक ,आचरण और शिष्टाचार स्तर और आचार संहिंता )विनियम १९८२ का खुला उल्लंघन -----विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद , भोपाल/पुणे
आजकल व्हाट्सप्प ,फेसबुक ,मेस्सेंजर आदि के द्वारा कोविड के अलावा अन्य रोगों का इलाज़ की भरमार चल रही हैं
दैनिक भास्कर भोपाल के अंक २८ जनवरी २०२० के पेज नंबर ३ ,पेज नंबर ५ ,पेज ७ एवं पेज १४ में निम्म प्रकार के विज्ञापन प्रकाशित किये गए हैं जो ड्रग्स एंड मैजिक रेमिडीज एक्ट १९५४ एवं भारतीय चिकित्सा के व्यवसाय (वृतिक ,आचरण और शिष्टाचार स्तर और अचार संहिंता )विनियम १९८२ का खुला उल्लंघन हैं .
इस सम्बन्ध में केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचना जारी कर यह सूचित किया गया हैंकि प्रथम बार उल्लंघन करने पर २लाख रुपये जुर्माना और ५ साल की सजा और दूसरी बार उलंघन करने पर १० साल की सजा और ५० लाख रूपया जुर्माना का प्रावधान हैं .
इस सम्बन्ध में जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक सक्षम अधिकारी हैं ,अतः इन प्रकरणों को संज्ञान में लेकर कार्यवाही करेंगे .
इसी प्रकार कोई भी चिकित्सक अपने नाम से शर्तिया इलाज़ से ठीक करने का विज्ञापन प्रकाशित नहीं कर सकता .यह भारतीय चिकित्सा व्यवसायी (वृतिक आचरण और शिष्टाचार सार और आचार संहिता )विनियम १९८२ के अंतर्गत धारा 24 का खुला उल्लंघन हैं .इस सम्बन्ध में माननीय उच्च न्यायालय मध्य प्रदेश ग्वालियर बेंच ने भी आदेश पारित किया हैं . परन्तु इस सम्बन्ध में सक्षम अधिकारीयों द्वारा समुचित कार्यवाही न किये जाने से जनता गुमराह होकर इन चिकित्सकों द्वारा लूटी जा रही हैं .जहाँ एक ओर धोखाधड़ी हो रही हैं वहीँ नियमों का उल्लंघन कर आपराधिक कृत्य कर रहे हैं .
आज महंगाई इतनीअधिक हैं वा समुचित इलाज़ न मिलने के कारण विशेष चिकित्सा पद्धतियों से विश्वास उठता जा रहा हैं ,वहीँ झूठे विज्ञापनों से जनता ठगी का शिकार हो रही हैं .इस प्रकार कानूनों का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही कर समाज में व्याप्त अनियमितताओं पर अंकुश लगाना आवश्यक व हितकारी होगा .भारतीय चिकित्सा के व्यवसाय (वृतिक आचरण शिष्टाचार स्तर तथा आचार संहिता )विनिमय 1982 की आधार संहिता इस प्रकार हैं --
विज्ञापन भारतीय चिकित्सा के किसी चिकित्सक द्वारा या तो वैयक्तिक्त रूप से समाचार -पत्र में विज्ञापन द्वारा ,प्लेकार्ड द्वारा या परिपत्रों द्वारा या हैंड बिल के वितरण द्वारा प्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष्य रूप से अनुनय करना अनैतिक हैं .चिकित्सा व्यवसायी विज्ञापन या प्रचार के किसी भी रूप में या रीति से अपना नाम और या फोटो का उपयोग नहीं करेगा या उपयोग करने में सहायता नहीं देगा या दूसरों को उपयोग नहीं करने देगा .
बीमारियों के नाम और स्थिति जिनके चमत्कारी औषधियों का प्रचार नहीं किया जा सकता हैं
एपिन्डिटिस ,आर्ट्रीआयोस क्लोरोरोसिस ,अंधापन ,बल्लोद पोइज़निंग ,ब्राइटस रोग ,कैंसर , मोतियाबिंद ,बहरापन ,डाइबिटीस ,मष्तिष्क की बीमारियां या खराबी ,मासिक धरम की खराबी ,नर्वस सिस्टम की खराबी ,प्रोस्टेटिक ग्रंथि की खराबी ,ड्रॉप्सी ,एप्लेप्सी .स्त्रीरोग (सामान्य) बुखार (सामान्य) फिट्स ,,फॉर्म एंड स्ट्रुक्टर ऑफ़ फीमेल बस्ट ,गाल ब्लैडर स्टोन .किडनी स्टोन गैंग्रीन ,ग्लूकोमा ,गोयटर,हृदय रोग ,हाई या लो ब्लड प्रेसर ,हइड्रोसील ,हिस्टीरिया ,इन्फेन्टाइल पैरालिसिस ,इनसैनिटी ,लेप्रोसी ,लुकोडेर्मा ,लाक जा ,लोकोमेटेर एटाक्सिया,लुपस ,नर्वस डेबिलिटी,मोटापा ,पैरालिसिस ,प्लेग ,प्लूरिसी ,निमोनिया ,रूमेटिस्म ,रुप्चर्स,सेक्सुअल इम्पोटेंसी ,स्माल पॉक्स स्ट्रेचर ऑफ़ पर्सन्स ,ट्राकोमा ,स्टेरिलिटी ऑफ़ वीमेन ,टी.बी .टाइफाइड बुखार ,,अलसर ,वेनेरल डिसीज़ (सिफलिस ,गोनोरेहिया) एड्स और अस्थमा .
अब शर्तिया इलाज़ नहीं कर पाएंगे डॉक्टर ---
नए विधेयक में किया गया प्रावधान ,साइन बोर्ड में नाम और डिग्री के अलावा कुछ भी लिखने पर हो सकती हैं कार्यवाही .
स्वास्थय एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा तैयार किये गए नेशनल कौंसिल फॉर ह्यूमन रिसोर्स इन हेल्थ (एनसीएचआरएच)विधेयक में प्रावधान किये गए हैं .
मंत्रालय ने इसविधेयक के जरिये देश में खुद को डॉक्टरों को खुद की मार्केटिंग करने से रोकने की तैयारी कर ली हैं .मत्रालय ने विधेयक का अंतिम प्रारूप तैयार कर स्वास्थय मंत्री को सौप दिया हैं .इसमें कोईडॉक्टर या अस्पताल किसी बीमारी विशेष के इलाज़ का दावा करने वाला विज्ञापन नहीं कर सकता हैं .
इन सब नियमों के बाबजूद भी समाचार पत्रों ,टी वी .पत्रिकाओं और होर्डिंग्स द्वारा भ्रामक प्रचार किया जा रहा हैं ,नियमों के अंतरगत कठोरतम कार्यवाही अपेक्षित हैं और क्रियान्वयन जरुरी हैं .इस सम्बन्ध में केंद्र और राज्य सरकार समुचित कार्यवाही कर जनता को गुमराह होने से बचाये .जब शासक के साथ धोखा तो सामान्य जन का क्या हाल होता होगा..!इन भ्रामक विज्ञापनों पर प्रतिबन्ध लगाकर उन पर नियमानुसार कार्यवाही की जाय
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन, संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104 पेसिफिक ब्लू नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड ,भोपाल 462026 मोबाइल ०९४२५००६७५३
सी ३/५०४ कुंदन एस्टेट ,कांटे बस्ती ,पिम्पले सौदागर पुणे महाराष्ट्र ४११०२७
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