प्रधान सेवक का दिगभ्रमित होना ,देश में अनिश्चितता का वातावरण ---

प्रधान सेवक का  दिगभ्रमित होना ---
देश में अनिश्चितता का वातावरण ----विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल /पुणे 

                     देश में दूसरी कोरोना लहर अतिथि जैसी आयी .बिना तिथि के आने को अतिथि  कहते हैं ,पर हम अपने घर में जब मालूम हैं की हमारे मेहमान आतेजाते है तो हम अपने घरों में कुछ अलग व्यवस्था भी रखते हैं.एक गांव में एक के यहाँ एक मेहमान आया .तो मेजबान दूसरे ग्रामीण  के यहाँ खटिया मांगने गया तो पडोसी बोला भाई साहब मेरे यहाँ दो खटिया हैं एक में मैं  और मेरा बेटा सोता हैं ,और दूसरे में मेरी पत्नी और बहु सोती हैं तब मेजबान बोला भाई खटिया दो या  ना दो पर सोया तो तरीके करो .
                 इतना बड़ा देश ,इतनी  बड़ी आबादी की व्यवस्था बनाना सामान्य बात नहीं हैं .यह कहना उचित होगा की न केवल स्वास्थ्य सुविधाएँ वरन अन्य संसाधन वर्ष १९४७ के  पहले से अनवरत दोहजार चौदह तक चली हैं ना की २०१४ से ही देश ने प्रगति की हैं मध्य प्रदेश की बात करे तो आबादी ७ करोड़ ,७५ हज़ार की आबादी पर एक वेंट्रिलेटर ,४२ हज़ार व्यक्ति पर एक बिस्तर ,कुल बिस्तर तीन  हज़ार चार सौ छियालीस ,सरकारी अस्पताल १९ हजार ४१० ,प्राइवेट अस्पताल १७ हज़ार ३६ ,आई सी यु ३१११  .बजट वर्ष २०१७-१८ १४,८७२ करोड़ ,२०१८ -१९ में ११,१९२ करोड़ ,२०१९ -२० में १०,४७२ करोड़ ,२०२०-२१ में लेखानुदान ,२०२१ -२२ में १५,६२२ करोड़ रुपये आवंटित किये गए .यह सब आंकड़े वर्तमान सरकार के समय के हैं और पता नहीं इन रुपयों का क्या उपयोग हुआ ,यदि सदुपयोग किया गया होता तो आज जो स्थिति हैं उसमे कुछ सुधार हुआ होता पर कुछ विशेष सुधार नहीं हुआ उसका जीता जागता उदाहरण वर्तमान की अव्यवस्था ,पर सरकार मानने को तैयार नहीं .इसमें सब मिले जुले हैं .
               सरकार की हालत यह हैं जब आग लगी तब कुआं खोदो .वर्त्तमान में दोनों सरकार यानि केंद्र और  राज्य सरकारें चुनाव में इतनी व्यस्त की उनको जनता की कोई सुध नहीं .सत्ता मिल  जाने के उपरांत जनता नहीं रहेंगी तब किन पर हुकूमत करेंगे .चुनाव क्षेत्रों में कोविद बचाव का कोई ध्यान नहीं दिया गया ,दिन रात भीड़ जुटाने और शक्ति परिक्षण में पूरी शक्ति झोंक दी .पूरा मंत्रिमण्डल इसी दिशा में जुटा हैं की सत्ता पर कैसे काबिज़ हो .अर्जुन जैसा एक ही लक्ष्य वो भी सत्ता के मोहि धृतराष्ट्र जैसा .बस जनता जाय भाड़ में उससे कोई मतलब नहीं .वोटर मरेंगे तो मरे वैसे जनसंख्या नियंत्रित रहेगी और अगले पांच वर्ष में नए वोटर आ जायेंगे .
               सरकारों को मरने वालों से कोई फरक नहीं पड़ता .पड़ेगा जब कोई उनका निजी मरेगा .पर राजनेता इतने बेशर्म होते हैं की वे सत्ता पाने निजियों को मार डालते हैं .फिर जनता तो मरने के लिए हैं चाहे भूख से मरे या बीमारी से .सत्ता अंधी होती हैं और वर्तमान में प्रधान एक सिरफिरा हैं ,पता नहीं कब क्या बोल दे .झूठ का पुलिंदा हैं .
             प्रधान भरोसे मंद नहीं हैं पता नहीं रात में आठ बजे पूरे देश में लॉक डाउन और कर्फ्यू लगा दे इसलिए  रेल बस हवाई जहाजों में घर वापिसी की भीड़ जुटने लगी .पता नहीं राजा को मद बहुत हैं अपनी सफलता का .ये सब पाप पुण्य का ठाठ हैं और सबके पीछे कर्मों की सी सी टी वी लगी हैं वह सब कर्मों,सुकर्मो और कुकर्मों की रिकॉर्डिंग करती हैं .आप मुख में राम और बगल में छुरी रखो .पता नहीं अपनी छुरी निकाल नहीं पाओगे .देश बहुत ठंडा खून वाला हैं कही कोई विरोध नहीं कोई ऊँगली उठाने वाला नहीं .सत्ता और पार्टी में एकाधिकार होने से मदमाद्यंता आने से निडर हैं .पता ध्यान रखना होगा कारण " ये बात और रही वो दोस्ती नहीं करते जो तुमने किया गैर भी नहीं करते  .अपने लोग ही दुश्मनी करते हैं और भगवान् की छड़ी ऐसी पड़ती हैं जो दिखाई नहीं देती .
           आज  लापरवाही के कारण हजारो हजार मौते हो रही हैं और दूसरी और लाखों लाख कुंभ में डुबकी लगाकर  वापिस लौटेंगे तब क्या होगा ?उसके बाद चुनाव में कार्य कर रहे कार्यकर्त्ता जो छुट्टा सांड जैसे घूमते रहे उनसे क्या होगा .आज पूरा देश लॉक डाउन और कर्फ्यू में बंद हैं और दूसरी ओर खुली छूट .
          आज अप्रवासी भी ट्रैन बस में ढूस ठुस  कर जा रहे हैं वह कैसे होगा कोरोना का बचाव .आप तो सुबह चेन्नई  गए फ्रेश होकर और शाम तक देहली वापिस कारण गरीब देश के रईस प्रधान मंत्री .दुहरा चरित्र उजागर हो चुका  हैं देश में अन्य विकल्प न होने के साथ सत्ता साधन और भाग्य साथ दे रहा हैं जिसकारण विजय  हो रही हैं .जिस दिन पुण्य का क्षय होगा तबअपने भी पराये हो जायेंगे .जैसे कोरोना काल में अपने भी पराये हो जाते हैं .देश में प्रधान द्वारा किया गया कुशासन जनता को दुखकारी होने से अच्छी दुआएं नहीं निकलती .आप अपने आप में मस्त रहे पर जनता इन दिनों भीषण कठिनाई के दौर से गुजर रही हैं और नित्य गुजरती जा रही हैं .काल का पहिया किसको कब दबोच ले कोई नहीं जानता .
         जिस राजा के यहाँ के दरवाज़े  जनता के लिए नहीं खुले रहते और राजा एक तरफा व्यवहार और जानकारी रखता हैं उसके  दुर्दिन शुरू हो जाते हैं .भगवन न करे किसी को दुःख न झेलना पड़े सब सुखी रहे .
       ईति भीति व्यापै नहि जग में ,वृष्टि समय पर हुआ करे .
      धर्मनिष्ठ होकर राजा भी ,न्याय  प्रजा   का किया  करे .
            अतःराजा को कुनीति त्याग का सुनीति से चलना चाहिए .उनके आचरण का प्रभाव जनता को भुगतना पड़ता हैं .जनता का धन प्राथमिकता के आधार पर खर्च होना चाहिए .सड़कें बनाने पेट्रोल डीज़ल पर इतना अधिक कराधान की सामान्य जन की कमर टूट गयी .स्वयं को खुद कुछ  खरीदना नहीं ,क्योकि पद का लाभ मिलता ही हैं .क्या मतलब उन्हें जनता की तकलीफों से .ऐसा न हो अगली बार जनता भी पाठ पढ़ाये 
           दो गला नहीं होना चाहिए .मैं दो   गला हूँ ,मैं दोगला हूँ ,  मेरा दो गला गला दो .मेरा अहम गला दो 
         विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन ,संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104  पेसिफिक ब्लू, नियर डी मार्ट ,होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026  मोबाइल 09425006753 
      सी ३/५०४ कुंदन एस्टेट कांटे बस्ती पिम्पले सौदागर पिम्पले सौदागर पुणे 411027

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